उपसर्ग और प्रत्यय (Upsarg aur Pratyay) के अंतर्गत हम उपसर्ग, उपसर्ग के प्रकार – संस्कृत के उपसर्ग, हिंदी के उपसर्ग, उर्दू – फारसी के उपसर्ग, संस्कृत अव्यय (उपसर्गों के रूप में) और प्रत्यय, प्रत्यय के भेद – कृत् प्रत्यय, तद्धित प्रत्यय
उपसर्ग – जो शब्दांश किसी शब्द से पहले लगाकर नए शब्द का निर्माण करते हैं, वे शब्द उपसर्ग कहलाते हैं।
जैसे – दूर्+ गुण = दुर्गुण
निर्+ बल = निर्बल
सु+ पथ = सुपथ
‘ अति ‘ उपसर्ग
अति + अधिक= अत्यधिक
अति + रिक्त= अतिरिक्त
‘ अध ‘ उपसर्ग –
अध + खिला= अधखिला
अध + जल = अधजल
‘ उन ‘ उपसर्ग –
उन + सठ = उनसठ
उन + तीस= उनतीस
‘ पर ‘ उपसर्ग –
पर + लोक = परलोक
पर + उपकार = परोपकार
‘ कम ‘ उपसर्ग –
कम + उम्र = कमउम्र
कम + अक्ल = कमअक्ल
‘ खुश ‘ उपसर्ग –
खुश + नसीब = खुशनसीब
खुश + बू = खुशबू
‘ बे ‘ उपसर्ग –
बे + खबर= बेखबर
बे + ईमान = बेईमान
‘ अन् ‘ उपसर्ग –
अन् + आस्था = अनास्था
अन् + आदर = अनादर
‘ पुनर् ‘ उपसर्ग –
पुनर + जन्म = पुनर्जन्म
पुनर + मिलन = पुनर्मिलन
जो शब्दांश किसी शब्द के अंत में जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन ला देते हैं, वे प्रत्यय कहलाते हैं ।
जैसे – लघु + ता = लघुता
फल + वाला = फलवाला
प्रत्यय के दो भेद होते हैं-
क्रिया के साथ लगने वाले प्रत्यय कृत प्रत्यय कहलाते हैं ।
कृत् प्रत्येक के मेल से बने शब्दों को कृदंत शब्द कहते हैं ।
जैसे – लिख + आवट = लिखावट
थक + आन = थकान
बोल + ई = बोली
जो प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण या अव्यय के अंत में जुड़कर नए शब्दों का निर्माण करते हैं, उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
जैसे –
1. सुं दर + ता = सुंदरता
2. सोना + आर =सुनार
उपसर्ग:- काजल
प्रत्यय:- जलना