आज हम वाक्य और वाक्य के भेद (Vakya in Hindi) के अंतर्गत इन सभी विषयों के बारे में आपको बताएंगे – वाक्य की परिभाषा, वाक्य के अंग – उद्देश्य, विधेय, वाक्य के भेद – अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद और रचना के आधार पर वाक्य के भेद
शब्दों का सार्थक समूह, जो कि व्यवस्थित क्रम में हो तथा वक्ता के आश्य को स्पष्ट करता हो वाक्य कहलाता है।
जिस वाक्य में किसी काम का होना पाया जाता है, वह विधानवाचक वाक्य कहलाता है।
जैसे - मैं खाता हूँ । (काम का होना)
राधा पढ़ती है। (काम का होना)
जिस वाक्य में किसी बात के या किसी काम के न होने का बोध होता है वहाँ निषेधात्मक वाक्य होता है।
जैसे - सड़क पर मत भागो।
सीता ने खाना नहीं खाया।
जिस वाक्य का प्रयोग प्रश्न पूछने में किया जाए उसे प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं।
जैसे - वेदान्त क्या बना रहा है ?
राम क्या लिख रहा है ?
जिस वाक्य में आज्ञा, उपदेश, अनुमति का बोध हो वह आज्ञावाचक वाक्य होता है।
जैसे - राम पढ़ाई करो।
राम नीचे बैठो।
जिस वाक्य में ‘हर्ष’, ‘शोक’, ‘घृणा’, व ‘विस्मय’ आदि भाव प्रकट होते है वह विस्मयादिबोधक वाक्य कहलाता है।
जैसे - वाह! कितना सुन्दर दृश्य है ।
अरे! यह क्या हो गया ।
शाबाश! क्या शतक बनाया ।
जिस वाक्य में किसी आशीर्वाद, इच्छा, कामना का बोध हो, उसे इच्छावाचक वाक्य कहते हैं ।
जैसे - आपकी यात्रा मंगलमय हो ।
ईश्वर सबका भला करें(इच्छा)
जिस वाक्य में किसी काम के पूरा होने में संदेह या संभावना का भाव प्रकट हो, उसे संदेहवाचक वाक्य कहते हैं ।
जैसे - शायद वे कल आएँ ।
शायद पिताजी आ चुके होंगे ।
जिस वाक्य में संकेत या शर्त हो वह संकेतार्थक वाक्य कहलाता है ।
जैसे - यदि वर्षा रूक गई तो स्कूल जाऊँगी ।
वर्षा न होती तो, फसल सूख जाती ।
जिन वाक्यों में एक उद्देश्य तथा एक विधेय होता है, उन्हें सरल या साधारण वाक्य कहते हैं ।
वह वाक्य जिसमें दो या दो से अधिक वाक्य या खंड स्वतंत्र रूप से समुच्चयबोधक अव्ययों द्वारा आपस में जुड़े होते हैं। उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं ।
जैसे
बादल गरज रहे हैं और वर्षा हो रही है ।
गांधी जी भारत लौटे और उन्होंने पराधीन भारतीयों की दुर्दशा देखी ।
यहाँ पहले जंगल था परंतु अब घनी बस्ती है ।