तत्सम ऐसे शब्द हैं जिनको संस्कृत से बिना कोई रूप बदले ले लिया गया है। हिन्दी, बांग्ला, मराठी, गुजराती, पंजाबी, तेलुगू कन्नड, मलयालम आदि में बहुत से शब्द संस्कृत से सीधे ले लिए गये हैं क्योंकि ये सभी भाषाएँ संस्कृत से ही जन्मी हैं।
तत्सम शब्दों में समय और परिस्थितियों के कारण कुछ परिवर्तन होने से जो शब्द बने हैं उन्हें तद्भव कहते हैं।
तत्सम शब्द | तद्भव शब्द |
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अग्नि | आग |
चंद्र | चाँद |
पक्षी | पंछी |
घोटक | घोड़ा |
मयूर | मोर |
कपोत | कबूतर |
उलूक | उल्लू |
दूर्वा | दूब |
मुख | मुँह |
नयन | नैन |
गृह | घर |
हास्य | हँसी |
दधि | दही |
कदली | केला |
अमूल्य | अमोल |
घृत | घी |
वानर | बन्दर |
दीपावली | दीवाली |
भिक्षुक | भिखारी |
रात्रि | रात |
सूर्य | सूरज |
स्वर्ण | सोना |
पत्र | पत्ता |
काक | कौआ |
कर्म | काम |
कुपुत्र | कपूत |
मक्षिका | मक्खी |
मस्तक | माथा |
नृत्य | नाच |
ग्राम | गाँव |
दुग्ध | दूध |
क्षीर | खीर |
अक्षि | आँख |
किरण | किरन |
आश्चर्य | अचरज |
आम्र | आम |
निद्रा | नींद |
लौह | लोहा |
आर्द्रक | अदरक |
अस्थि | हड्डी |
अग्र | आगे |
आश्विन | आसोज |
आश्रय | आसरा |
आर्य | आरज |
आमलक | आँवला |
आम्रचूर्ण | आमचूर |
आदित्यवार | इतवार |
अज्ञान | अजान |
अनार्य | अनाड़ी |
अन्यत्र | अनत |
अर्पण | अरपन |
अमावस्या | अमावस |
अम्लिका | इमली |
अध् | आज |
अगणित | अनगिनत |
अष्टादश | अठारह |
अट्टालिका | अटारी |
अक्षोट | अखरोट |
अंगुष्ठ | अंगूठा |
अक्षवाट | अखाडा |
अन्न | अनाज |
अर्द्ध | आधा |
अंध | अँधा |
अमृत | अमिय |
ओष्ठ | ओंठ |
अशीति | अस्सी |
आशीष | असीस |
अंगरखा | अंगरक्षक |
अक्षर | अच्छर |
अश्रु | आँसू |
आलस्य | आलस |
अकस्मात | अचानक |
अगम्य | अगम |
अंधकार | अँधेरा |
बधिर | बहरा |
शत | सौ |
पुत्र | पूत |
पुष्कर | पोखर |
गर्दभ | गधा |
पाषाण | पाहन |
चक | चाक |
वधू | बहू |
ज्योति | जोत |
उच्छवास | उसास |
प्रहर | पहर |
कंटक | काँटा |
बली वर्द | बींट |
इष्टिका | ईंट |
छाया | छाँह |
चिक्कण | चिकना |
शर्कर | शक्कर |
स्कन्ध | कंधा |
वार्ता | बात |
श्मषान | समसान |
महिषी | भैंस |
नवीन | नया |
हस्त | हाथ |
कुमारी | कुँवारी |
कृपा | किरपा |
शीर्ष | सीस |